पितृपक्ष : श्राद्ध का महत्व

पितृपक्ष : श्राद्ध का महत्व

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पितृपक्ष (श्राद्ध पक्ष) 16 दिनों का पवित्र काल है जब हम अपने पूर्वजों का तर्पण और श्राद्ध कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जानिए इसका महत्व, श्लोक, मंत्र और रोचक तथ्य।

परिचय (Introduction)

हिंदी:
पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, वर्ष में एक बार आने वाला 16 दिनों का पवित्र काल है। इस समय अपने पितरों (पूर्वजों) को तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान अर्पित करके उनकी आत्मा की तृप्ति की जाती है।

English:
Pitru Paksha, also known as Shraddha Paksha, is a sacred 16-day period dedicated to honoring ancestors. Devotees perform rituals like tarpan and pind daan to bring peace and satisfaction to departed souls.


शास्त्र वचन (Scriptural Verse)

देवनागरी:
येषां न पिण्डो न जलं कृतं वै, ते पितरः क्रुद्धा भवन्ति नित्यं । तस्मात् प्रयत्नेन सदा जन्तवोऽपि, कुर्युः श्राद्धं सुखसंपत्तिहेतुम् ॥

Transliteration:
Yeṣāṁ na piṇḍo na jalaṁ kṛtaṁ vai,
te pitaraḥ kruddhā bhavanti nityaṁ ।
Tasmāt prayatnena sadā jantavo’pi,
kuryuḥ śrāddhaṁ sukha-sampatti-hetum ॥

भावार्थ (Meaning):
जिनके लिए पिंडदान और तर्पण नहीं किया जाता, वे पितर अप्रसन्न रहते हैं। इसलिए हर मनुष्य को सुख और समृद्धि हेतु श्रद्धा से श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।


पितृपक्ष मंत्र (Pitru Paksha Mantra)

“ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः ॥”
इस सरल मंत्र का जाप पितरों के आशीर्वाद हेतु किया जाता है।


जिज्ञासा (Curiosity)

  • पितृपक्ष में कौवे को अन्न खिलाना शुभ माना जाता है, क्योंकि वह पितरों का दूत माना जाता है।
  • इस काल में नये कार्य (जैसे गृहप्रवेश, विवाह आदि) नहीं किए जाते।
  • गया (बिहार) में पिंडदान का विशेष महत्व है, जिसे मोक्ष की नगरी कहा जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

हिंदी:
पितृपक्ष हमें याद दिलाता है कि हमारी जड़ें हमारे पूर्वजों से जुड़ी हैं। उनकी स्मृति और आशीर्वाद से ही जीवन में स्थिरता और शांति आती है।

English:
Pitru Paksha reminds us that we are deeply connected to our ancestors. Honoring them brings blessings of peace, stability, and prosperity into our lives.

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