परिचय (Introduction)
हिंदी:
गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है, दीपावली के अगले दिन। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा की थी। इसे अन्नकूट भी कहते हैं।
English:
Govardhan Puja falls on Kartik Shukla Pratipada, the day after Diwali. On this day, Lord Krishna lifted Govardhan hill on his little finger to protect Braj residents from Indra's wrath. It is also known as Annakut (mountain of food).
शास्त्र वचन (Scriptural Verse)
देवनागरी:
धरणीधरणात् कृष्णो गोवर्धनधरः स्मृतः।
Transliteration:
Dharaṇīdharaṇāt Kṛṣṇo Govardhana-dharaḥ Smṛtaḥ
भावार्थ (Meaning):
जिन्होंने पृथ्वी (गोवर्धन पर्वत) को धारण किया, वे श्रीकृष्ण गोवर्धनधारी के नाम से स्मरण किए जाते हैं।
महत्व (Significance)
हिंदी:
- प्रकृति और अन्न के प्रति कृतज्ञता
- गोवर्धन पर्वत की पूजा (पर्वत से भोजन बनाकर)
- 56 या 108 प्रकार के भोग (छप्पन भोग)
- गौ माता की पूजा और परिक्रमा
English:
- Gratitude towards nature and food grains
- Worship of Govardhan hill (made from cow dung)
- Offering of 56 or 108 varieties of food (Chhappan Bhog)
- Cow worship and circumambulation
गोवर्धन पूजा मंत्र (Govardhan Puja Mantra)
"ॐ गोवर्धनाय नमः। श्री गिरिराज धरणाय नमः।"
इस मंत्र से गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
रोचक तथ्य (Curiosities)
- गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा की जाती है।
- 56 भोग (छप्पन भोग) 8 पहर × 7 दिन = 56 meals का प्रतीक है।
- वृंदावन में लाखों भक्त 21 किमी की गोवर्धन परिक्रमा करते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
हिंदी:
गोवर्धन पूजा हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना सिखाती है। यह अहंकार पर विनम्रता की विजय का प्रतीक है।
English:
Govardhan Puja teaches us gratitude towards nature. It symbolizes the victory of humility over arrogance.